मुंबई, महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी एवं भवंस महाविद्यालय अंधेरी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में बीज वक्तव्य देते हुए एबीपी न्यूज के कंसल्टिंग एडिटर सुमित अवस्थी ने जनसंचार, विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और साहित्य पर अपनी बात रखते हुए कहा कि यद्यपि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और साहित्य परस्पर संपूरक होते हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सतत रूप से भाषा तथा साहित्य के विकास के लिए कार्य करती है। भाषागत संचेतना और साहित्यिक आगाह के साथ वह अधिक सार्थक तरीके से स्वयं को प्रस्तुत कर सकती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि विभिन्न भाषाओं के शब्दों के प्रयोग से हिंदी समृद्ध हो रही है। विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित फिल्मसिटी एवं रंगमंच के उपाध्यक्ष तथा महाराष्ट्र के राज्य मंत्री अमरजीत मिश्र ने हिंदी फिल्म के गीतों को उद्धृत करते हुए उनकी साहित्यिकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भावनाओं की सफल प्रस्तुति का इससे अच्छा, सर्वग्राह्य और सफल माध्यम कोई और नहीं। इस अर्थ में जनसंचार और साहित्य का बहुत घनिष्ठ संबंध है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष आचार्य शीतला प्रसाद दुबे ने अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए कहा कि साहित्य और जनसंचार दोनों का उद्देश्य समाज में जागृति का संचार करना है। पत्रकारिता अपने सभी रूपों में साहित्य का ही पोषण करती है। पत्रकारिता, दूरदर्शन और फिल्मों ने भारतीय संस्कृति तथा साहित्य को विविध तरह से पोषित किया है। रूस में राजकपूर की फिल्में देखने के लिए लोगों ने हिंदी सीखी। दोनों अन्योन्याश्रित हैं।
प्रथम सत्र के मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में उद्धृत प्रसिद्ध गीतकार समीर अंजान ने विषय पर अपना मन्तव्य रखते हुए कहा कि फिल्मों के प्रति लोगों का नजरिया ठीक नहीं है ।साहित्य की कृतियाँ फिल्मों के माध्यम से रुचिकर रूप में सामने आती हैं।फिल्मी गीत किसी भी तरह से साहित्यिक गीतों से कमतर नहीं है।गीतों के बीच विभाजन रेखा खींच कर हम साहित्य का ही नुकसान करते हैं ।समाज और समय की मांग प्रमुख है,इसी आधार पर साहित्य और फिल्मों का निर्माण किया जाता है। एकांगी दृष्टि ने बहुत नुकसान किया है। आज मैं इस अवसर पर अकादमी अध्यक्ष दुबे जी से आग्रह करूंगा कि हमारी इस बात को उन लोगों तक पहुँचाएँ जो इसे सही जगह तक पहुंचा सकते हैं। कार्यक्रम में डाॅ. करुणा शंकर उपाध्याय, डाॅ. सतीश पांडेय और श्री राजेन्द्र त्रिपाठी ने अपने वक्तव्य से विषय पर प्रकाश डाला। डाॅ. शीला आहूजा, डाॅ. श्याम सुंदर पांडेय, दिनेश पाठक, डाॅ. मिथिलेश शर्मा, डाॅ. तब्बसुम खान, डाॅ. मनीष मिश्र, डाॅ. अजीत कुमार राय, डाॅ. उषा दुबे आदि ने विषय से संबंधित विविध मुद्दों पर शोधलेख प्रस्तुत किया। भवंस महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. जे.पी. बथेना ने सबका स्वागत किया और संयोजिका डाॅ. रेखा शर्मा ने प्रस्तिविकी तथा आभार प्रस्तुत किया ।कार्यक्रम के अंत में देश के पूर्व रक्षामंत्री और गोवा के मुख्यमंत्री स्व.मनोहर पर्रिकर के असामयिक निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।